Sunday, 22 December 2013

मैं मानव हूँ

मैं मानव हूँ

मेरी गली में भोंकते आवारा कुत्ते ,
चहलकदमी करते सूअर ,
रम्हाती बिन खूंटे की गायें ,
मुझे एहसास करा देती हैं

कि मैं मानव हूँ।

भाइयों से सम्पत्ति के बटवारे की लड़ाई ,
रामलाल से प्रमोशन का झगड़ा ,
ठेले वाले से सब्जी के मोल भाव की नोंक झोंक,
पल भर के लिए भू जाता हूँ ,
दूर मंदिर में बजती घंटियाँ ,
मुझे याद दिला देती हैं ,


कि मैं मानव हूँ।

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