Saturday, 7 December 2013

दीवाली

अबकी दीवाली में फिर जले दिए।
फिर फूटे पटाखे…
फिर खिलखिलाए बच्चे।
लाखो इधर उधर हो जायेंगे
लाखों का हो जाएगा वारा न्यारा।
दूर से....
सहमे सहमे
बच्चों को फुलझड़िया जलाता देख
धीरे  धीऱे...
 उसके आँखों में चमक गयी। 
मानो उसके अपने हाथों में हैं फुलझड़िया।
अगल-बगल के घरो में जलते दीये,
मानो उसके घर में ही जल रहे हैं।
उसे  भी मिली आज खाने को मिठाई,
वो खुश हुआ,
साल में पहली बार। 
आखिर दीवाली है आज।

खुशियो का त्यौहार-
दीवाली।  

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